Sunday, 28 July 2013

आप चाहे तो अपनी गर्लफ्रेंड की हमशक्ल भी प्रिंट कर सकते हैं '''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''

आप चाहे तो अपनी गर्लफ्रेंड की हमशक्ल भी प्रिंट कर सकते हैं 

आपने टी.वी. पर वो एड तो देखा होगा जिसमें एक बच्चा फोटोस्टेट मशीन में टॉफी डालता है और वैसी ही अनेक टॉफियां फोटोस्टेट कॉपी की तरह निकलती हैं. वह तो सिर्फ एक विज्ञापन था लेकिन जरा सोचिए अगर असल में ही ऐसी कोई तकनीक विकसित कर ली जाए जिसके जरिए एक ही शक्ल और एक ही तरीके से काम आने वाले वस्तुएं एक से दो हो जाएं और वो भी बिना किसी नुकसान के. भले ही आपको यह सब क्लोनिंग विषय पर बनी हॉलिवुड फिल्म का एक सीन लग रहा हो लेकिन सच यही है कि एक ऐसा प्रिंटर बाजार में उतारा जा चुका है जिसकी सहायता से कोई भी वस्तु प्रिंट कर सकते हैं. आप चाहे तो अपना फोन कवर, किसी एंटीक पीस की प्रतिकृति, अपने फेवरेट सिलेब्रिटी द्वारा पहना गया कोई सूट, यहां तक कि बंदूक की गोलियां भी बड़ी आसानी के साथ प्रिंट कर सकते हैं. 

प्रिंटर की कार्यप्रणाली 

अब आप सोच रहे होंगे ऐसा कैसे मुमकिन है, तो हम आपको बता दें कि यह प्रिंटर आमतौर पर ऑफिस या घर में प्रयोग आने वाले एक इंकजेट की ही तरह काम करता है फर्क बस इतना है कि इसमें इंक या स्याही के स्थान पर 3डी कलर्स और विभिन्न रंगों वाले प्लास्टिक के धागों का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें ABS फिलामेंट कहा जाता है. 

प्रिंटर की मशीन उच्च तापमान के जरिए धागों को पिघलाकर परत दर परत उसी शक्लो सूरत की वस्तु का निर्माण करती है जो प्रिंटर के अंदर डाली गई थी. इस प्रक्रिया द्वारा वस्तु का निर्माण करना ही 3डी प्रिंटिंग कहलाता है. औद्योगिक ईकाइयों, जो धातु और पॉलिमर का प्रयोग करती हैं, में इस प्रिंटर का उपयोग किया जाने लगा है. एक साइकिल को प्रिंटर में डालकर उसकी तरह की अन्य साइकिल बनाना, वैसे ही मोटर पार्ट्स, फर्नीचर, लैंप्स आदि का उत्पादन भी कुछ इसी तरह किया जाता है.


3डी प्रिंटर से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य



1. वर्ष 2009 में सबसे पहले एक ब्लड वेसल को प्रिंट किया गया.



2. इसके अलावा 2011 में एक कार, डेस्कटॉप 3डी प्रिंटर और प्रिंटेड रोबोटिक एयरक्राफ्ट के जरिए मानवरहित यान बनाया गया.



3. 2012 में मानव जबड़ा प्रिंट कर मनुष्य के शरीर में लगाया गया और 2013 में कान का प्रिंटर निकाला गया.


भारत में आने की संभावना
हालांकि अभी तक यह प्रिंटर भारत में अपनी पहुंच नहीं बना पाया है लेकिन ऐसी उम्मीद है कि आने वाले तीन महीनों में दिल्ली और मुंबई में इससे संबंधित इंटरनेट कैफे खोले जाएंगे.

3डी प्रिंटर का उपयोग कैसे किया जा सकता है

3डी प्रिंटर का उपयोग बिल्कुल वैसे ही किया जा सकता है जैसे किसी आम प्रिंटर का किया जाता है. कंप्यूटर, पेनड्राइव या यूएसबी वायर से इसे कनेक्ट कर आप वही चीज प्रिंट कर सकते हैं जो पहले से ही बनी हुई हैं. लेकिन फर्क बस इतना है कि इसमें वस्तु को प्रिंट होने में समय थोड़ा ज्यादा लगता है. उदाहरण के लिए अगर आप एक फोन केस प्रिंट करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको करीब एक घंटे का इंतजार करना पड़ सकता है. आपको सिर्फ वस्तु प्रिंटर में डालनी है और बस कमांड देना होता है, बाकी सब अपने आप ही होता रहता है.

आप भी 3डी प्रिंटर घर लाना  चाहते हैं?



1. अगर आप बिना इंस्टॉल किए और बिना कोई पैसा खर्च किए 3डी प्रिंटर की कार्यप्रणाली और उसके फायदों से वाकिफ होना चाहते हैं तो आप www.mwoo.me पर जाएं.



2. पेन ड्राइव में अपनी इमेज कॉपी करें.



3. फिर Sculpteo .com या shapeway.com पर जाकर “प्रिंट” का ऑर्डर दें.



4. इस प्रिंट को मंगवाने का चार्ज 7 डॉलर प्लस शिपिंग से शुरू होता है और ऑर्डर करने के बाद लगभग 2-4 हफ्तों में यह प्रिंट आपके घर होगा.

3डी प्रिंटर के फायदे

3डी प्रिंटर के जरिए अगर कोई चीज प्रिंट की जाती है तो उसका मूल्य अपेक्षाकृत कम होगा. इतना ही नहीं चिकित्सीय उपचार की लागत भी इसकी सहायता से बेहद कम हो सकती है.

कुछ नुकसान भी हैं इस प्रिंटर के

जैसे कि कहा जाता है विज्ञान के लाभ के साथ-साथ कुछ हानियां भी होती हैं. ऐसा ही कुछ इस तकनीक के साथ भी है. क्योंकि आप बंदूक, गोला बारूद आदि जैसी घातक वस्तुओं का भी उत्पाद भी उसी तरह कर सकते हैं जिस तरह अन्य वस्तुओं का आप प्रिंट निकालते हैं. जिसके परिणामस्वरूप जिस वैश्विक शांति को हम एक आदर्श स्थिति मानते हैं उसकी बहाली के रास्ते में कई अड़चनें आ सकती हैं. हालांकि भारत में अभी इस प्रिंटर की सुविधा उपलब्ध नहीं है लेकिन फिर भी इस बात में कोई दो राय नहीं है कि इसके फायदे से ज्यादा कुछ ऐसे नुकसान हैं जिनकी भरपाई कर पाना वाकई मुश्किल है.

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